Book Title: Path ke Pradip
Author(s): Bhadraguptavijay
Publisher: Vishvakalyan Prakashan Trust Mehsana

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Page 19
________________ Pad SERA TION RA A ENEmirime ALAM [ १० ] त निशक हो। मानले कि तेरे पास जितना सुख है, सुख के साधन हैं, सव करुणामय परमात्मा की देन है। तू जब तक यह विश्वास नही करेगा, तब तक परमात्मा के प्रति तेरे हृदय में प्रेम व श्रद्धा जाग्रत नही होगी। परमात्मा की उपासना को तेरे जीवन का लक्ष्य बनादे। घोर कर्म वन्धन भी परमात्मा की कृपा मे तत्काल टूट जाते हैं । तू अनुभव करके विश्वास स्थापित कर। LIL ETCGMTS - - - IP S - - Pra rautetwasana INDomenim . 6 BHAVAR म.

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