Book Title: Path ke Pradip
Author(s): Bhadraguptavijay
Publisher: Vishvakalyan Prakashan Trust Mehsana

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Page 46
________________ 1-5TORS Del सर DN । CATTR [ ४० ] SONOTAOK LWA इम परम सुख का मार्ग बताते AN DOO है, इसका अर्थ यह नही है कि हम परम सुखी हो गये हैं। हमने प्राचीन ग्रन्थो मे जो परम सुख का मार्ग देखा, उसे आपको वताया। सभव है कि आपको यह मार्ग पसन्द आजाय और मार्ग बताने वाला उस मार्ग पर न भी चले! वह स्वय' नही चलता है इसलिये वह खराव ? नही । ट्राफिक पुलिस एक जगह खडा ही रहता है और रास्ता बताता है क्या वह खराव है ? - [ ३५ 3019 PAL 78ay "TD NE .

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