Book Title: Path ke Pradip
Author(s): Bhadraguptavijay
Publisher: Vishvakalyan Prakashan Trust Mehsana

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Page 48
________________ 13 [ ४२ ] SHI Mlhan दसरो को सुधारना है ? मात्र उपदेश से यह काम नही होगा। जिसको सुधारना है, उसकी आप के प्रति स्नेहयुक्त श्रद्धा है ? फिर ज्यादा उपदेश की आवश्यकता नही है । आपके इशारे से ही वह सलथगामी बनेगा। [ ४३ ] MARI P ahal ज्ञानी ज्ञानदृष्टि से जो कदम उठाता है, उसका भक्त मात्र-श्रद्धा से अनुसरण करता है ...... उसको ज्ञानदृष्टि की आवश्यकता नही MAN CTETTE [ ३७

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