________________
MAAN
+SS.
H
PRANST
[
२ ]
AL
Karki
पापी के प्रति घृणा क्यों करनी चाहिये ? पापी के प्रति करुणा ही करे। धिक्कार करने से तो पापों के प्रति हमारा मन एकाग्र वन जाता है। फिर धीरे-धीरे पापों के प्रति आकर्षण पैदा होता है और आगे चलकर वह स्वय पापी वन जाता है। पापी के प्रति करुणा ही श्रेष्ठ है। करुणा से उसके उद्धार की भावना पंदा होती है । करुणा से मन स्वस्थ । रहता है। अत. हृदय करुणा से सदैव स्निग्ध रहे। उससे सदैव करुणा बरसती रहे।
८० ]