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कोमलता के विना हृदय मे श्रद्धा कैसे रह सकती है ? प्रथम, हृदय को कोमल होना चाहिये, कठोरता का त्याग करना चाहिये। परमात्मा, सद्गुरु और सत्य के प्रति कोमल हृदय की श्रंद्धा होनी चाहिये । श्रद्धा से कर्तव्य निष्ठा पनपती है। श्रद्धा से कर्तव्यपालन की शक्ति पैदा होती है। श्रद्धाहीन हृदय अनेक पिशाचो की समशानभूमि बन . जाता है।