Book Title: Path ke Pradip
Author(s): Bhadraguptavijay
Publisher: Vishvakalyan Prakashan Trust Mehsana

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Page 97
________________ न SAM [ ६६ ] ALMA.. इन्द्रिय और विषयो के सम्पर्क से राग, द्वेप और मोह पैदा होता है। जहाँ तक हो सके इन्द्रियों का विषयो से सम्पर्क ही मत होने दो। यदि हो गया, तो तोड दो। तोडने के लिए ज्ञानदृष्टि चाहिये। तोडने के लिए जागृति चाहिये । 06Boo RA .

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