Book Title: Path ke Pradip
Author(s): Bhadraguptavijay
Publisher: Vishvakalyan Prakashan Trust Mehsana

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Page 95
________________ [६६ ] RAMER किस जीव की कितनी योग्यता है, यह सोच-विचार कर ही उससे आशा करो । योग्यता निर्णय स्वस्थ और मध्यस्थ बन कर करो। इससे कोई व्यक्ति सर्वथा अयोग्य नही दिखाई देगा। [ ६७] . HIT में चाहता हूँ कि मेरे निमित्त कोई जीव दुखी न हो । फिर भी मैं कभी निमित्त बन जाता हूँ, मेरा यह दुर्भाग्य नही तो क्या ? TTTTTIPRE a ८४ ]

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