Book Title: Path ke Pradip
Author(s): Bhadraguptavijay
Publisher: Vishvakalyan Prakashan Trust Mehsana

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Page 101
________________ [ १०३ ] . । HAXECE VIRA खब तक मनुष्य ज्ञान की गहराई में प्रवेश नही करता तब तक ज्ञानानन्द प्राप्त नही कर सकता। आत्मानन्द का अनुभव नहीं कर सकता। ज्ञान की गहराई मे ही समत्व की प्राप्ति है। ज्ञान की ऊपर की सतह पर तो अभिमान का मगरमच्छ फिरता रहता है। सामान्य मनुष्य गहराई पसन्द नही करता, विस्तार ज्यादा पसन्द करता है, कुए से तालाब को ज्यादा पसन्द करता है । TEE HUS क ६० ]

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