Book Title: Path ke Pradip
Author(s): Bhadraguptavijay
Publisher: Vishvakalyan Prakashan Trust Mehsana

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Page 100
________________ [ १०२ ] . प्रभात के पुष्पो की सुवास, नीरव निशा का संगीत और भगवान् अंशुमालि का प्रकाश । सदैव जन जीवन को प्रफुल्लित, आनन्दित व हर्पित वनाये रक्खें! शील की सुवास, श्रद्धा का सगीत और ज्ञान का प्रकाश सब जीवो को प्राप्त हो • • • • •सव की आत्माएं उन्नति के पथ पर अग्रमर हो--ऐसी मेरी पवित्र कामनाएँ सदा बनी रहे' [

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