Book Title: Path ke Pradip
Author(s): Bhadraguptavijay
Publisher: Vishvakalyan Prakashan Trust Mehsana

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Page 90
________________ L [ १] - लाममा दःखो का स्वागत हो | WelCome | इस जीवन मे जितने दुखो को आना हो, आजांय, तो अच्छा है। शारीरिक, मानसिक व सामाजिक दुःखो को आने दो। प्रसन्नता के साथ दु खो का स्वागत करें। दु.खो का अनादर करने से दुख वापिस नहीं लौटते । अनादर करने से ही यदि दुःख चले जाते तो, इस दुनिया मे कोई दुखी नही होता । फिर क्यो अनादर करें? अत. स्वागत हो ! दु.खो का स्वागत हो! Ky - ~ Romanpraorat Pramom M [ ७६

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