Book Title: Path ke Pradip
Author(s): Bhadraguptavijay
Publisher: Vishvakalyan Prakashan Trust Mehsana

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Page 87
________________ [ 3] of A PAN eNSI सर्वत्र भय और लालच का साम्राज्य छाया हुआ है। धर्मक्षेत्र में भी भय और लालच कितने व्यापक है ? नरक का भय और स्वर्ग का लालच ! दुखों का भय और सुखो का लालच । ___ भय से धर्म करना इतना बुरा नही समझा जाता जितना सुखो के लालच से | भय और लालच दोनो वृत्तियां बुरी हैं। निर्भय और निरीह होना नितान्त आवश्यक है। N U MA ७६ ]

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