Book Title: Path ke Pradip
Author(s): Bhadraguptavijay
Publisher: Vishvakalyan Prakashan Trust Mehsana

View full book text
Previous | Next

Page 65
________________ PRAKAR NRNA 7 [ ६१ ] - - A मन मे कितने प्रश्न है ? कितनी समस्याएँ है ? जब तक इन प्रश्नों का समाधान नही करेंगे स्थिरता दूर है। मन का समाधान करे .." दवाव मत डालें । दमन के बजाय शमन हितकारी है। HD TTA TATEST MAU [ ६२ ] (डरो मत, देखो और करो। डरने से क्या ? ससार के द्रष्टा वनने मे ही शान्ति है । राग-द्वेप से मुक्त दर्शन ही शान्ति है। INE HA

Loading...

Page Navigation
1 ... 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108