Book Title: Path ke Pradip
Author(s): Bhadraguptavijay
Publisher: Vishvakalyan Prakashan Trust Mehsana

View full book text
Previous | Next

Page 70
________________ [ ६७ ] TORMA । CALAMANG 4mmm एक राजा अपने द्वार पर आये प्रथम भिक्षुक की इच्छा पूर्ण करता था। एक दिन एक फकीर आया । उसने अपने पात्र को सोना मोहरो से भर देने की इच्छा बताई। राजा भरने लगा, परन्तु पात्र भरता ही नही था ! राजा ने अपनी सारी सम्पत्ति पात्र में डाल दी. . . पात्र नही भरा। राजा ने पूछा-'यह पात्र कैसा अजीब है. ... . !! यह किस चीज का बना, हुआ है ?" फकीर ने कहा-"मनुष्य के हृदय से यह पात्र बना है" • •l! Shoppos [ ५६

Loading...

Page Navigation
1 ... 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108