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भPAHAR
MAKON
KAur
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Thanti
देखा, परन्तु सोचा नही । चखा, परन्तु अनुभव नही किया। पुरुपार्थ किया, परन्तु पाया कुछ नही । फिर जीवन का क्या अर्थ?
मित्र, क्या बताऊँ ? लोग सोचते ही नही, अनुभव करते ही नही....."फिर क्या पायें। कहते हैं-"हमने कुछ पाया नही " कैसे पायें ? सुख-दुख के चक्र से बाहर निकलें तब न सुख-दुःख के चक्र मे सही चिन्तन को स्थान कहाँ ?
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