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कर्तव्यनिष्ठा अतिमहत्वपूर्ण तत्त्व है । जब मनुष्य अपने कर्तव्य को भूल जाता है, औचित्यभग करता है, तो अप्रिय बनता जाता है। मनुष्य की प्रियता औचित्य पालन से सम्बन्धित है। सर्वत्र अपने औचित्य का खयाल करें।
अपने औचित्य पालन के प्रति जाग्रत रहें और दूसरो के औचित्य भग की उपेक्षा करें।
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