Book Title: Path ke Pradip
Author(s): Bhadraguptavijay
Publisher: Vishvakalyan Prakashan Trust Mehsana

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Page 71
________________ M [६८ Ca AN मधुर शब्द सन्तप्त मन को शान्ति देता है अथवा अशान्ति मे कमी करता है; फिर मधुर शब्द की हमे अपेक्षा नही रखनी चाहिये। जहां तक बने, मधुर शब्द दूसरो को दो ..."स्वय दूसरो से अपेक्षा न करो। CATERIA [६६ ] निर्भय बनो । निर्भयता ही आत्मोत्थान की Master Key है। जहाँ तक 'मैं और मेरा' है, वहाँ - . तक ही भय है। STU

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