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सिद्धि के लिए शक्ति चाहिये। गक्ति श्रद्धा से प्राप्त होती है । परमात्मा के प्रति परम श्रद्धा से शक्ति का प्रादुर्भाव होता है। शक्ति की उपलब्धि से जीवन मुक्ति प्राप्त करता है । अनन्त शक्तिमय परमात्मा की शरण मे ही मानव जीवन को गान्ति है। शरण भाव से विकास की आवश्यकता है। आन्तरिक भावो मे गरणवृत्ति का सम्मिश्रण हो। मेरी यह कामना है कि परमात्मकृपा से मैं शक्तिसम्पन्न वनू।
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