Book Title: Path ke Pradip
Author(s): Bhadraguptavijay
Publisher: Vishvakalyan Prakashan Trust Mehsana

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Page 55
________________ CTREpan [ ५० ] rectories R NROLLY AN जिस व्यक्ति को स्वयं वदलना नही है, उसको तू नही बदल सकता है। व्यक्ति को बदलने का कार्य मात्र उपदेश से नहीं होगा। व्यक्ति से Personal सम्पर्क स्थापित कर, उसके संयोग परिस्थिति का अध्ययन कर मार्गदर्शन देना होगा। तभी व्यक्ति वदल सकता है। हर व्यक्ति की अपनी इच्छाएँ होती है ..." उन इच्छाओ को मोडने का कार्य सरल नही है। - toue ४४ ] .

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