Book Title: Path ke Pradip
Author(s): Bhadraguptavijay
Publisher: Vishvakalyan Prakashan Trust Mehsana

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Page 56
________________ COM [ ५१ ] IN तोर्यभूमि तपोभूमि वन जाय, साधना-भूमि बन जाय तो मनुप्य को मन शान्ति और आत्मकल्याण प्राप्त हो सकता है। परमात्मा का दर्शन व पूजन साधना की दृष्टि से होना चाहिये। उसमे अनुशासन चाहिये । शान्ति के लिए इधर-उधर भटकने वालो को ऐसे तीर्थ मिल जाय तो? तीर्थ है, परन्तु तीर्थों का रूप वदलता जा रहा है। मूल स्वरूप आवृत्त हो रहा है । [ ४५

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