Book Title: Path ke Pradip
Author(s): Bhadraguptavijay
Publisher: Vishvakalyan Prakashan Trust Mehsana

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Page 50
________________ INE (CISAGAR BAHAR THAN [ ४५ ] राक वालक तीसरी कक्षा मे ATM X पढता था । एक दिन उसने अपनी माँ से कहा-“माँ मेरे मास्टर सा तो मात्र मेट्रिक तक पढे हुए हैं, मै उनके पास नही पढू गा!" माँ समझदार थी, उसने कहा__ "वेटा, तू उनके पास मेट्रिक तक तो पढ़ सकता है . फिर आगे नये मास्टर सा. खोजेगे !" दूसरे का विकास देखने के साथ-साथ हम कहाँ है, यह तो सोचे। H EI . [ ३६ .

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