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हर व्यक्ति के अपने प्रश्न है, अपनी समस्याएँ हैं । यदि व्यक्ति के पास ज्ञानदृष्टि है, तो वह अपने प्रश्नो को इस प्रकार सुलझाने की चेष्टा करेगा कि नाना प्रश्न पैदा न हो। यदि ज्ञानदृष्टि नही है, तो प्रश्न सुलझाते-सुलझाते नया प्रश्न पैदा कर देगा। जीवन की समस्याओ को सुलझाने वाली ज्ञानदृष्टि प्राप्त करना अति आवश्यक है । ऐसी ज्ञानदृष्टि शास्त्रो के अध्ययन-परिशीलन से प्राप्त होती है।