Book Title: Path ke Pradip
Author(s): Bhadraguptavijay
Publisher: Vishvakalyan Prakashan Trust Mehsana

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Page 40
________________ FSA [ ३४ ] NAINA ound Y यदि आप स्वय शास्त्र नही पढ सकते हैं, तो शास्त्रज्ञानी का सत्सग करे । यदि आप स्वय चिन्तको के साथ सम्पर्क बनाये रखे। यदि आप स्वय मोक्षमार्ग पर नही चल सकते तो किसी का सहयोग लेकर चलते रहे ! परन्तु निराग होकर, भयभीत होकर बैठे न रहे। जिन्दगी छोटी है और काम ज्यादा है' 'मजिल दूर है " • 'वैठने का समय नही है। १12 DAN २६ ]

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