Book Title: Path ke Pradip
Author(s): Bhadraguptavijay
Publisher: Vishvakalyan Prakashan Trust Mehsana

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Page 36
________________ [२६] RRIP MP4 स्पदाचारो के पालन से जीवन मे शान्ति मिलती है। सदाचारो को छोडकर सुख पाने का पुरुषार्थ करने से सुख के साथ अशान्ति मिलती है । अशान्ति में सुख का उपभोग नही हो सकता। - [ ३० ] बह्मचर्य का पालन दुष्कर है , परन्तु दृष्टि की निर्मलता बढाने से दुष्कर भी मुकर वन जाता है। दृष्टिदोष से बचते रहो। [ २५

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