Book Title: Path ke Pradip
Author(s): Bhadraguptavijay
Publisher: Vishvakalyan Prakashan Trust Mehsana

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Page 35
________________ [ २८ ] Skni AM LITEN पतिदिन नया ज्ञान प्राप्त करे। ऐसा ज्ञान प्राप्त करें कि जो मन पर छाये हुए अज्ञान के अन्धकार को मिटादे ओर मन को प्रकाशित कर दे। अपनी शान्ति " प्रसन्नता, पवित्रता बनाये रखने के लिए वह ज्ञान उपयोगी बने । ऐसा ज्ञान ऋषि-महऋषिओ के ग्रन्थो से मिलता है, ऐसा मेरा अनुभव है। ग्रन्थो के शब्द पर चिन्तन करना चाहिये। मात्र विद्वत्ता के लिए पढने से फायदा नही है। ACC 6 २४ ] THADA

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