Book Title: Path ke Pradip
Author(s): Bhadraguptavijay
Publisher: Vishvakalyan Prakashan Trust Mehsana

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Page 28
________________ [ २० ] IAN भोग सुख मे डूब जाना अलग है और डुवकी (गोता) लगाना अलग है। भोग सुख में गोता लगाने वाला बाहर निकल आता है और त्याग के मार्ग पर आगे बढ़ता है। भारतीय संस्कृति मे अर्थ और काम कितना स्थान रखते है ? मात्र साधन रूप में। लक्ष्य तो है, मोक्ष । मोक्षमार्ग है, धर्म। अर्थ काम में डूबो मत ? गोता लगाना हो तो लगाकर वाहर निकलो और आगे वढो ? REER

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