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णमो अरिहंताणं
णमो सिद्धाणं णमो आयरियाणं णमो उवज्झायाणं
णमो लोए सव्वसाहूणं ॥ एसो पंच णमुक्कारो । सव्वपावप्पणासणो।
मंगलाणं च सव्वेसि । पढम हवइ मंगलं ॥ ॥ नानार्थोदयसागरकोष : हिन्दी टीका सहित । मूल : अंशुः प्रभायां किरणे लेशे वेशे विवस्वति ।
असमञ्जस पुत्रेऽऽशुमानंशुयुते त्रिषु ॥१॥ हिन्दी टीका-अंशु शब्द पुल्लिग है और उसके निम्न प्रकार पांच अर्थ होते हैं-१. प्रभा (प्रकाश), २. किरण, ३. लेश (किञ्चिन्मात्र, अल्प), ४. वेश (पोशाक) और ५. विवस्वान् (सूर्य) । और अंशुमान शब्द तीनों लिंगों (पुल्लिग, स्त्रीलिंग, नपुंसकलिंग) में प्रयुक्त होता है, और इसके तीन अर्थ हैं-१. असमंजस (अनुचित, खराब), २. पुत्र (लड़का), ३. अर्क (सूर्य) । अंशयुक्त अर्थों में अंशुमान शब्द के प्रयोग होते हैं इसलिए तीनों लिंगों में उसका प्रयोग होता है क्योंकि अशु से युक्त पुल्लिग, स्त्रीलिंग और नपुंसक लिंग शब्दार्थ हो सकता है जैसे - अंशु से युक्त सूर्य अंशुमान् कहलाता है और सूर्य पुल्लिग है इसलिए अंशुमान् शब्द सूर्य अर्थ में पुल्लिग माना जाता है। एवं अंशु से युक्त कोई देवी या देवी शक्ति वगैरह शब्दों का अ स्त्रीलिंग है अतः उस अर्थ में प्रयुक्त अंशुमती शब्द भी स्त्रीलिंग माना जाता और अंशुयुक्त कोई नपुंसक शब्दार्थ अंशुमत् शब्द से प्रयुक्त होता है इसलिए अंशुमत् शब्द नपुंसक माना जाता है जैसे भगवान् वर्द्धमान महावीर का स्वरूप अंशुमत् कहलाता है इत्यादि। मूल : अंहतिः स्त्री वितरणे रोगे त्यागेऽभिधीयते ।
अकूपारः कूर्मराजे पाषाणादि सरित्पतौ ॥२॥ हिन्दी टीका - अंहति शब्द स्त्रीलिंग है और उसके निम्न प्रकार तीन अर्थ होते हैं-१. वितरण (दान), २. रोग (व्याधि) और ३. त्याग । (अभिधीयते) यह क्रिया पद 'उच्यते' का पर्याय है अर्थात् अंहति शब्द तीन अर्थों में प्रयुक्त होते हैं-वितरण, रोग, और त्याग में । अकूपार शब्द पुल्लिग है और उसके तीन अर्थ हैं-१. कूर्मराज (कच्छप, काचवा) २. पाषाण (पत्थर) वगैरह और ३. सरित्पति (समुद्र)। मूल :
अग: सूर्ये भुजंगे च पर्वतेऽपि महीरुहे। अग्निर्भल्लातके स्वर्णे पित्तनिम्बुकवह्निषु ॥ ३ ॥
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