Book Title: Nammayasundari Kaha
Author(s): Mahendrasuri, Pratibha Trivedi
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

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Page 12
________________ Jain Education International सिंघी जैन ग्रन्थमाला] [नम्मयासुन्दरीकहा an International For Private & Personal Use Only प्रमाण पोरीपरिमलबदलांधातासकारीफ़ासादिवंगावीतयुसमाणुगमबहसारसम्महेजस्व प्रधानमयेनानिरंत समागमालिकालंपालियुआनयतामाधामुढाममनुबालेवहामिमहाविदादातरसाइयोधरिवाजा तिमारकंधुसम्मकोस।।।१०० रियमतामयंत्रम्मयासेती अवज्ञा दियपायडपससणियममुदवद्वाना. Amatणाणावरहियरसिएहिंसलिसरिनहितधामकदा पुगएमासाहमादिमोधाममासम्मनस्यामसूद संवनिहामि॥श्वयनंगस्मनिमिalBamaniनामुलीशकायबापालेयसीलपालवाएविनायकराबदवासका ग्राहामेलामासुपरिसादाशनम्मय क्षरिवरियनितांजरतहि विविषयमवयाएकहाकिंचिकणमहिवान! गयधमायsalaसंकायाचपएसायका हावादिसामहिंदारिहि मिययसीत्सटिशनसिएदितपणे पंपियाडतिमिदनालिहाजालिहाश्वाए। कादशाश्वासम्मोतिसिंपवयपदवीकारण्यात mi संतीकारउसंतीतियारसयलजीवलोयरस तदत संमिनाक करारारकासमतासंघाउनिम्मायाएस कहाकिमसंवनारवयातीएक्वारसदिसएदिसत्रा सीदिविसालामायासियमाश्मीएवारमिदिवसमा हस्सा लिहियाबढमायरिमा मुसिमागविसीलवेदिव|Romananlal निर्मदासंदरीकधासमाघrjupugni महेन्द्रसूरीकृत 'नम्मयासुन्दरीकहा की प्राचीन प्रतिका अन्तिम पत्र www.jainelibre

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