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24. पुद्गल किसे कहते हैं? उ. जो वर्ण, गंध, रस एवं स्पर्शयुक्त हो अर्थात् जिसे देखा जा सके, सूंघा जा
सके, चखा जा सके एवं स्पर्श किया जा सके उसे पुद्गल परमाणु कहते हैं। 25. सजातीय पुद्गल-समूह को क्या कहते हैं?
उ. वर्गणा। 26. पुद्गल शब्द का अर्थ क्या है? उ. जो पूर्ण गलन-मिलन धर्मा है वह पुद्गल है। स्निग्ध या रुक्ष कणों की वृद्धि
का नाम 'पूरण' और उनकी संख्या की हानि का नाम गलन है। 27. पुद्गल और परमाणु में क्या फर्क है? उ. जैन परिभाषा के अनुसार अभेद्य, अछेद्य, अग्राह्य, अदाह्य और निर्विभागी
पुद्गल को परमाणु कहा जाता है। एक पुद्गल-परमाणु एक वर्ण, एक गंध,
एक रस व दो स्पर्शवाला होता है। 28. पुद्गल-परमाणु संख्या में कितने हैं?
उ. पुद्गल-परमाणु संख्या में अनन्तानन्त है। 29. पुद्गल की परिणति कितने प्रकार की होती है? उ. दो प्रकार की—सूक्ष्म और बादर। 30. प्राणियों से सम्बन्ध रखने वाले विश्व के समस्त पुद्गलों को कितने भागों
में विभाजित किया जा सकता है? उ. प्राणियों से सम्बन्ध रखने वाले विश्व के समस्त पुद्गलों को दो भागों में
विभाजित कर सकते हैं-चतु:स्पर्शी और अष्टस्पी । 31. चतुःस्पर्शी किसे कहते हैं? उ. वे पुद्गल, जिनमें वर्ण, गंध, रस के साथ शीत, उष्ण, स्निग्ध और रुक्ष
ये चार स्पर्श हों, चतुःस्पर्शी कहलाते हैं। 32. अष्टस्पर्शी किसे कहते हैं? उ. वे पुद्गल, जिनमें वर्ण, गंध, रस के साथ हलकापन, भारीपन आदि आठों
स्पर्श हों, अष्टस्पर्शी कहलाते हैं। 33. सूक्ष्म और बादर पुद्गल कितने स्पर्शी होते हैं?
उ. सूक्ष्म पुद्गल चतु:स्पर्शी और बादर पुद्गल अष्टस्पर्शी होते हैं। 18 कर्म-दर्शन