________________ xxx इस प्रकार बहुत-सी चमत्कारिक रूप से चित्रित घटनाओं को भी इस ग्रंथ में समाविष्ट नहीं किया गया है। मध्ययुगीन अनेक विद्वान ग्रन्थकारों ने सिद्धसेन प्रभृति कतिपय प्रभावक आचार्यों के जीवन चरित्र को आलेखन करते हुए उनके जीवन की कुछ ऐसी चमत्कार पूर्ण घटनाओं का उल्लेख किया है, जिन पर आज के युग के अधिकांश चिन्तक किसी भी दशा में विश्वास करने को उद्यत नहीं होते। Xxx यही प्राचार्य अपनी "सिद्धान्त प्रश्नोत्तरी" किताब के पृ० 16 पर लिखते हैं कि xxx कुछ लोग कहते हैं कि-भरतजी ने मरीचि को होने वाला तीर्थकर जानकर वन्दन किया, ऐसा टीका में आता है। ठीक है, यह बात कथा में है पर शास्त्र में नहीं होने से प्रमाण कोटि में नहीं मानी जाती। स्थानकपंथी मत प्रवर्तक लोकाशाह के विषय में स्थानकवासी पण्डित श्रीमान् वाडीलाल मोतीलाल शाह-अपनी "ऐतिहासिक नोंध" में लिखते हैं कि मैं इस बात को अंगीकार करता हूं कि मुझे मिली हुई लोंकाशाह विषयक हकीकतों पर मुझे विश्वास नहीं है / तथा xxx [ लोकाशाह के चारित्र के विषय में हम अभी अंधेरे में ही हैं ] लोकाशाह कौन थे? कब हुए ? कहां कहां फिरे ? इत्यादि बातें आज हम पक्की तरह से नहीं कह सकते हैं। जो कुछ बातें उनके बारे में सुनने में आती हैं, उनमें से मेरे ध्यान में मानने योग्य ये जान पड़ती हैं। ऐतिहासिक नोंध पृ० 56 xxx मागे वे लोकाशाह के विषय में लिखते हैं कि xxx पर इस तरह का उल्लेख उनके निर्गुणे भक्तों ने कहीं नहीं किया कि लोकाशाह किस स्थान में जन्मे ? कब उनका देहान्त हुआ ? उनका घर संसार कैसे चलता था ? वे किस सूरत के थे ? उनके पास कौन-कौन