Book Title: Jugaijinandachariyam
Author(s): Vardhmansuri, Rupendrakumar Pagariya, Dalsukh Malvania, Nagin J Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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जुगाइजिणिद-चरियं
बिबाओ, मत्तमायंग-थोरकर-विब्भमोरुजुयलाओ, महल-नेउराबद्ध-कुम्मण्णय-चलणजुयलरेहिराओ, आयंविर-नक्ख-कंति
विय-तिमिर-पसराओ, सहयार-मंजरी-रसण-कलकंठ-कलयंठिजंपिरीओ, ताणं च काउ वि पियंगु-मंजरीवण्णाओ, अण्णाओ पुण दुब्वंकुरसामलाओ, अण्णाओ रत्तुप्पल-दलसंनिहाओ, अन्नाओ ससि-किरण-कंतिकलाव-भरिय भुवणोदराओ, अण्णाओ य फल्ल-चंपयप्पभाओ, अण्णाओ वेरुलियमणि-संकासाओ, सव्वाओ वि परमजोव्वणाओ, सव्वाओ वि परमकल्लाणिणीओ, सव्वाओ थणभरनमंतमज्झाओ, सव्वाओ देवदुगुल्लनियंसणाओ, सव्वाओ वि रायहंसगामिणीओ, सव्वाओ वि नियतेयविडिय-महातमपायडिय-दसदिसाभोयाओ, सव्वाओ वत्थ-गंध-मल्लालंकाररेहिराओ, सव्वाओ सव्वकालं जिणिंद-जम्मकम्मनिउणाओ, त्ति।
तेणं कालेणं तेणं समएणं अहोलोगवत्थव्वाओ अट्टदिसाकुमारिमयहरियाओ सएहि सएहि कूडेहि, सएहिं सएहि भवणेहि, सएहि सरहिं पासायवडिसएहि, पत्तेयं पत्तेयं चउहिं सामाणियसाहस्सीहि, चउहि य मयहरियाहि सपरिवाराहि, सत्तहिं अणिएहि, सत्तहि अणियाहिंवईहिं, सोलसएहिं आयरक्खदेवसाहस्सीहि, अण्णेहि य बहूहि भवणवइ वाणमंतरेहिं देवेहिं देवीहिं य सद्धि संपरिवुडाओ महया हय-नद्र-गीय-वाइय-तंती-तलताल-मुइंग-पडुपडह-वाइयरवेणं विउलाई भोगभोगाइं भंजमाणीओ विहरति । तं जहा--
भोगंकरा १ भोगवई २ सुभोगा ३ भोगमालिणी। ४ तोयधारा ५ विचित्ता य ६ पुप्फमाला ७ अणि दिया ८ ॥११३८।।
इमासि पत्तेयं पत्तेयं आसणं चलइ। आसणं चलियं पासित्ता ओहिं पउंजंति । जंबुद्दीवं दीवं ओहिणा आभोएमाणीओ आभोएमाणीओ इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे विणीयाए भूमीए नाहिकुलयरघरे पढमतित्थयरं नाइं' पासंति। . तएणं ताओ सत्तट्रपयाई तित्थयराभिमुहमागच्छंति तित्थयराभिमुहमागच्छित्ता पंचंगपणिवायपूरस्सरं एवं वयंति "नमोत्थुणं . अरहंतस्स भगवंतस्स, आइगरस्स, तित्थगरस्स, सयंसंबुद्धस्स, लोगनाहस्स, लोगपईवस्स लोगपज्जोयगरस्स, अभयदयस्स, सरणदयस्स, चक्खुदयस्स, मग्गदयस्स, धम्मदयस्स, धम्मदेसयस्स, धम्मवरचाउरंतचक्कवट्टिस्स, अप्पडिहय-वरनाणदसण-धरस्सजिणस्स, जावयस्स, बुद्धस्स बोहगस्स', मुत्तस्स मोयगस्स, तिन्नस्स, तारयस्स, सिवमयलमरुयमणंतमक्खयमव्वाबाहमपुणरावत्तिसिद्धिगइनामधेयं ठाणं संपत्ताणं संपाविउकामस्स पढमपुहईपालस्स वज्जरियाससलोयववहारस्स पढममुणिवइस्स नाणाइगण-गणरयणरोहणगिरिणो तेलोक्कवंदियमहियपूईयस्सओसप्पिणीए पढ़मतित्थयरस्स," एवं कयपणामाओ निय निय सिंहासणेसु दुरुहति नियनिय सिंहासणेसु दुरुहिता आभिओगिए देवे सदाविति सहावित्ता एवं वयासी- “जीयमेयं देवाण प्पिया ! तीय-पडुप्पण्णमणागयाणं अहोलोयवत्थव्वगाणं अट्रण्हं दिसाकूमारिमयहरियाणं तित्थयर-जम्मणमहिमं करितए" तं गच्छामो णं अम्हे वि भगवओ जम्मणमहिमं करेमो। तं गच्छह णं तुब्भे खिप्पामेव अणेगखंभसयसन्निविट्ठ, लीलट्रियसालिभंजियागं ईहामिय-उसभ-तुरय-नर-मगर-विहग-वालग-किण्णर-रुरु-सरह-चमर-कुंजर-वणलय-पउमलयभत्तिचित्तं घंटावलिचलियमहरमणहरसरं सुरूवं सुहं कंतं दरिसणिज्जं निउणोविय मिसिमिसितमणिरयणकणयघंटियाजालपरिखित्तं खंभुग्गयवरवइरवेइयाभिरामं उत्ताणनयणपेच्छणिज्जं अच्चीसहस्समालिणीयं रुवग-सयसहस्स-कलियं सुहफासं सस्सिरीयं सिग्यमेव गमणपाउग्गं विमाणं विउव्वेह विउब्वित्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणेह । ते वि सहेव करिति । तएणं ताओ उत्तरपुरस्थिमं दिसीभागं अवक्कमंति अवक्कमित्ता वेउहिव्वयसमुग्घाएणं समोहन्नति समोहनित्ता संखिज्जाई जोयणाई दंडं निसिरंति निसिरित्ता रयणाणं १ वइराणं २ वेरुलियाणं ३ लोहियक्खाणं ४ मसारगल्लाणं ५ हंसगब्भाणं ६ पुलगाणं ७ सोगंधियाणं ८ जोइरसाणं ९ अंकाणं १० अंजणाणं ११ रयणाणं १२ जायरूवाणं १३ अंजणपुलगाणं १४ फलिहाणं १५ रिद्वाणं १६ एएसि मणीणं अहाबायरे पोग्गले परिसाडिति परिसाडित्ता अहासुहमेपोग्गले परिगिण्हंति परिगिण्हित्ता कयउत्तरवेउव्वियरूवाओ उत्तरवेब्विय वरविमाणमारूढाओ समंतओ निय निय परिवारसंपरिडाओ सव्वाए इढिए।
१ जाईपासंति पा०। २ अरहंताणं भगवंतस्सा जे० । ३ तेलोक्कभहिय पा०। ४ पूजियस पा० ।
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