Book Title: Jugaijinandachariyam
Author(s): Vardhmansuri, Rupendrakumar Pagariya, Dalsukh Malvania, Nagin J Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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जुगाईजिणिदचरियं
होऊण अहं तीए लच्छीए माणमलणदच्छीए । सिरिदेवो सयलजणे विडंबिऊण णेगहा काउं ।।२२७१।। अब्भत्थिया न थक्कइ सोयं न गणेइ सवइदायारं । रूसइ रक्खिज्जंती छिडणमहिला य लच्छी य ॥२२७२॥ अणुकूलं चिय भुंजइ मइमं न करेइ गरूयपडिबंध । परपुरिसासत्तमणं मुंचइ लच्छिं च महिलं च ॥२२७३॥ सुइदोसा सुइवोद्दो परिहरिओ संपयाए रूसिऊण । सिरिदेवो पुण पइदिणमच्चुवयारं कुणंतो वि ॥२२७४।। रक्खंतस्स वि रुट्ठा संचयसीलस्स भोगदेवस्स । देंतस्सुवभोगपरायणस्स विवरं मुहा जाया ।।२२७५॥ जो संतपि न भंजइ न देइ उक्खणइ निहणइ ससंको । सो संचयसीलसमो हवंतदालिद्दिओ पुरिसो ।।२२७६।। संचयसीलसरिच्छा पुरिसा महिमंडलम्मि सव्वत्तो । जो छलिया लच्छिपिसाइयाए करिकण्णचवलाए ॥२२७७॥ जो संतं परिभुंजइ देइ न देंतस्स पडइ परिणामो । सो भोगदेवसरिसो उभयभवसुहावहो पुरिसो ॥२२७८॥ ते विरला सप्पुरिसा जयम्मि जे भोगदेवसारिच्छा । लच्छीए जे न छलिया छलिया लच्छी पुणो जेहिं ।।२२७९॥ को मुणइ ताण संखं नराण लच्छीए जे छलिज्जति । संताविज्जेहिं लच्छी छलिया ते एक्क दो तिन्नि ॥२२८०॥ ता छंडिज्जउ एसा जाव न छड्डुइ अप्पणा चेव । लच्छीए छडिओ पूण लहत्तणं पावए पूरिसो ॥२२८१॥ निरवज्जं पव्वज्ज रज्ज चइऊण कुणह जइ कज्जं । अव्वावाहनिरंतरनिरुवमसोक्खेण मोक्खेण ॥२२८२॥
पुणो वि भयवं कुमरपडिबोहणत्थं वेयालियं नाम अज्झयणं पण्णवेइ । तं जहासंबुज्झह ! किं न बुज्झहा? जाणंता वि हु कीस मुज्झहा' पियपुत्तकलत्त पासहा, भो दूर दूरेण नासहा ।।२२८३।। भोत्तुं विसए सुरेसणुत्तरे जइ तित्ता तुब्भे न तेहिं वि । ता कह तुच्छेहिं इमेहि भो परितित्ती तुम्हाण होहिही ।।२२८४।। अहिणु व्व सया भयंकरे, जलनिहितरलतरंगभंगुरे । विसए परिणामदारुणे, जाणिय मा एएसु रज्जहा ।।२२८५।। विसयामिसलुद्धमाणसा, रागंधा विवसा विसंठुला । परिहरिय हियाहिया सया, बहुहा नासमुवेंती पाणिणो ।।२२८६।। वरवीणा वेणुमाइसु सद्देसं सुइसोक्खदाइसु । आसत्ता मूढ़माणसा नासं जंति मय व्व णेगसो ॥२२८७।। सिंगारवियारबंधुरे सुललियलासविलासपेसले । रूवे विणिविट्ठदिट्ठि णो, विणिवायं सलह व्व जंति ते ।।२२८८।। सरसाहाराहिलासिणो, महुरमज्ज-महु-मंसभोइणो । वडिसामिसलुद्धमुद्धया मीणा विव हम्मति पाणिणो ॥२२८९।। वरकुसुमामोयमोहिया मूढमणा न गणेति आवयं। गंधे लुद्धा जहालिणो विणिवायं न णु जंति जंतुणो॥२२९०॥ मिउमणहरफासलालसा अमुणियदोसगुणा सयालसा । बज्झंति गय व्व वालिसा रमणीसंगविमूढमाणसा ॥२२९१॥ एमाइवेयालियअट्ठाणउएहि चित्तबंधेहिं । एक्केक्को एक्केक्केण ताण कुमराण पडिबुद्धो ॥२२९२।। सव्वे वि कयंजलिणो सब्वे वि समुल्लसंतपरिणामा । सामिस्स पुरो होउं एवं भणिउ समाढत्ता ॥२२९३।। भवजलही तरियव्वो तए समो ताय तारगो निउणो। तह वि न तरंति मूढा भवण्णवं दुज्जओ मोहो ॥२२९४।। तावच्चिय मयमोहो जाइ-जरा-मरणसंभवो ताव । परमरसायणसरिसं तुह वयणं जा न परिणमइ ॥२२९५॥ मरूभूमीए सरसी वसीयला कप्पपायवो अहवा । परमेसर ! तुह सेवा लब्भइ पुन्नेहि पुग्नेहिं ॥२२९६।। चउगइदुहसंतावो जियाण न हु ताव पयणुई होइ । तुह पयपायवछाया न सीयला सेविया जाव ॥२२९७॥ तिहुयण पणमिय पायह तायह, निज्जिय मयणह हयमयरायह । .
आणपडच्छहिं सिवपहगोयर, पमुईय माणस सयल सहोयर ॥२२९८।। १. रुसइ रुसइ खिज्जति जे० । २. छडिज्जउ एसा पा०। ३. रेसुगत्तरे जो०।। ४. तुम्भाणु हो ० पा० ५. अहिणो व्व पा० । ६. मिस मुद्धलुद्धया पा० । ७. सिवपुरगोयर पा० ।
आणपक्ष
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