Book Title: Jugaijinandachariyam
Author(s): Vardhmansuri, Rupendrakumar Pagariya, Dalsukh Malvania, Nagin J Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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सिरिरिहसा मिथुई
विसय-विसहर विसम - विस-वेय-
विद्वंसण विणय-सुय, तार-तेय तिहुयण-नमंसिय । पउमप्पह ! पउमदल - दीह-नमण पंडिय - पसंसिय ।। अपfsar - वर नाण-धर, मोडिय-माण मरट्ट । एक्ककालु नाणा - जियह, संसय-दलण घरट्ट
हर-हास- गोखोर-सम- देह वन वर कित्ति - कुलहर | चंदप्पह चंद-मुह, चंद- कित्ति धवलिय- दियंतर ॥ निय - कुल नह्यल - चंद-सम, कम्म-कलंक विमुक्क। संपइ सरइ न ताहं पहु, जे
सरस-सरह सुरहि-मुह- सास ---
कुंदेंदु - निम्मल-चरिय, मोह- तिमिर दारण- दिवायर । तिजगुत्तम' तम रहिय, भविय - कुमुय बोहण - निसायर || पर्याय- परम - पत्थ- पह, भुवण-तय- सुपयास। सुह-निहि निहणिय कम्म मल, जिणवर जयहि सुपास || ३५४३ ॥ सरय-ससहर-हार-नीहार
सुविहि सुविहिय-समण-कय-सेव करुणामय-मयरहर, महिय मोह मय-मय-माण मरण । संसार-भय-भीय-मण, जण सरण्ण कम्मट्ट-चूरण || मह महग्घई मणहरई, तिहुयणि जाई सुहाई । तुह पय-सेवई सुविहि-जिण, लीलई लब्भहि ताई
२७७
।।३५४२ ।।
तुह सेवह चुक्क ।।३५४४।।
भुवण- वच्छल अतुल-बल-सार संसार-सर-सोम-यर, तरणि-तेय सीयल सुहंकर । सुह-सासण ससि वयण, भविय-कमल-बोहण दिवायर ॥ जणमण - माणस, सर-नलिण-निलयण राय - मराल । मण विरमउ तुह गुण- गहणि, मज्झ जीह' सय-काल ।। ३५४६ ।। दिव्व-नाणिण दिट्ठ- दट्टव्व
दय-रसिय खम-दम भवण, नलिणि-नाल-सुकुमाल भुय जय । सेयंस' जिण वर तिलय, सेय-निलय' सुर - सत्थ, संथय ।। तिहुणपणमिय-पाय पहु, विन्नत्ति निसुणेज्ज । भवि भवि मह तुह पय-कमलि, लोयण- भमर वसेज्ज ।। ३५४७ ।। दुर्मिदिय- दप्प-कप्परण
सुर-संदरि ललिय-कर-कुडव - कुंद-मंदार - पूइय। सुजसोयर-सर-नलिण - रायहंस वर - सुमिण अव्वाबाह अरुव-रस, अरुय अगंध अफास । जयहि अनंत अनंत-सुह, जिणवर
चवण-रंजिय-सयल - सुर-लोय
मण-मक्कड-रुद्ध-पह,' कम्म केलि-वण- गहण कुंजर । सरणागय-दुत्थियां, वासुपूज्ज' दढ वज्ज -पंजर || अजर निरंजण जग तिलय, पणयहं पूरिय आस । निम्मम निम्मल-नाण-निहि, कय- निव्वाण निवास ।। ३५४८ ।। विमल विमलिय-सयल - जय जीव
भतिब्भर -नर- वर-खयर-अमर - रमणि-मुह घुसिण-रंजिय । पय-कमल कलि-मल - रहिय, रम्म धम्म विसएहि अगंजिय । इंदिय-तुरय-तुरंगमहं, रुद्ध- कुमग्ग- पयार । सिद्धि - पुरंधिहि वच्छ्यलि, घोलिर-निम्मल-हार
।। ३५४९ ।।
areमंदरि विहिय- अभिसेय
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।। ३५४५ ।।
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- सूइय ।।
भुवण- पयास ||३५५०१.
निय - जम्म- संजय, जण-मण-पमोय जय जीव-सुहकर । निक्खमण-रंजिय-भुवण, भुवण भाणु कंकेल्लि - सम-कर ।। धम्म- धुरंधर धम्म - जिण, संपाविय सुह-ठाण । सुव्वय-देविहि अंगरह, सासय सोक्ख- निहाण ।। ३५५१ || जेण साहिय निय-पयावेण
अखंड - छक्खंड महि, जेण तियस निय-सेव कारिय । माणुब्भड खयर रणि, जेण जिणिवि निय-मुह जुयाविय ॥ दुहि विपयारिहिं चक्कवड, तिहुयणि 10 जणियाणंदु | पणय-सुहंकरु संति-करु, पणमहु संति- जिंणिदु
।। ३५५२ ।।
१. म मणरहि० जे । २ जीय सय० जे० । ३. जुय । सुरदुंदुहि गहिर सर सेय निलय सेयंस जिणवर पा० । ४. य सय नि० जे० । ५. पट्ट जे० । ६. वासपू० जे० । ७. मंदिर पा० 15. सुरनिलि ० जे० । ६. खररयणि पा० । १० तिहु श्रण पा० ।
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