Book Title: Jugaijinandachariyam
Author(s): Vardhmansuri, Rupendrakumar Pagariya, Dalsukh Malvania, Nagin J Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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१८८
'जुगाइजिणिदचरियं
मगह-कलिंगा-वच्छा-कच्छा-वगा, य कोसल-कुणाला । एमाई अन्ने वि य बहु भैया आरिया देसा ।।१९६७।। उत्तम-मज्झिम-हीणासु जीवजोणीसु जायमाणेण । वह-बंध-मारणाणि य वयणाणि य कन्नकडूयाणि ।।१९६८।। वह-रोग-सोग-दोहग्ग-दोस-दारिद्ददड्ढ-देहेण । मणुयत्तणे वि दुक्खं बहुप्पयारं अणुहवंति ।।१९६९।। दासत्तणपत्तेणं जीवेणं मणुयजाइजोएण । वह-बंध-ताडनाई नासाहर-कन्नछेज्जाइं ।।१९७०।। नियलं दुबंधणाई आहारनिरोह-मारणाइं च । मणुयत्तणे वि पत्ते पत्ताइं तिदुक्खदुक्खाई ॥१९७१।। 1अंधत्तणं च मूयत्तणं च महत्तणं च पंगुत्तं । लोयम्मि हासजणगं रुयं मणयत्तणे पत्तं ॥१९७२।। कंदण-सोयण-विलवण-नट्ठविणठेसु दव्वजाएसु । मणुयत्तणे वि पत्ते पत्तमणंतं महादुक्खं ।।१९७३।। माणुसजम्मे वि सुहं तुच्छं दुक्खं च बहुतरं चेव । इय जाणिऊण तुब्भे धम्मम्मि मइ सया कुणह ।।१९७४।। एसा माणुसजाई बहुविहदुक्खामए समक्खाया । एत्तो देवगई पि हु कहिज्जमाणी निसामेह ॥१९७५।। ते जत्थ देवलोगा देवा वि य जइ विहा जहिं हुंति । कम्मेहिं जेहिं देवा हुंति उ तम्मे निसामेह ॥१९७६।। अह तिरियउड्ढलोए भवनवई वंतरा य जोइसिया । वेमाणिया य देवा सब्वे वि असंखया नेया ॥१९७७॥ वेमाणिया य थोवा तेहिं तो भवणवासिणो बहुगा । तत्तो वि य वंतरिया वंतरएहिं च जोइसिया ॥१९७८॥ सव्वेसु वि ठाणेसु जहण्णया मज्झिमा य उक्कोसा । आउ-बल-रिद्धिमाईहिं सुरगणा होंति नायव्वा ॥१९७९।। अहलोए भवणवई-वंतरिया-जोइसा य तिरियम्मि । वेमाणिया य उड्ढं सोहम्मा जाव सव्वट्ठो ॥१९८०॥ सीयायव-वायहया अकामतण्हा-छुहा-परिकिलंता । जे सुहचित्ता जीवा मरंति ते हंति वंतरिया ।।१९८१।। एमेव निरवराहा दंडियमाईहिं जे वहिज्जति । ईसीसिसोहण मणा मरिऊण हवंति वंतरिया ॥१९८२।। कयबालतवच्चरणा जे जीवा कंद-मल-फलभक्खी । पंचम्गितावियतणं महिद्धिया वंतरा हंति ।।१९८३।। जल-जलण-सिहरि-पडणं तरुपडणं जे करंति निम्विन्ना। ते विमरिऊण जीवा अप्पिडिढयवंतरा होति ।।१९८४।। सामन्नगुणसत्ता सत्ता मरिऊण होंति जोइसिया। नियमियमहु-मज्ज-रसा-सावगधम्मम्मि उज्जुत्ता ।।१९८५।। सीलवयनियमकलिया सुसावगा जे हवंति दाणरया । ते वेमाणियदेवा हवंति सग्गे महिड्ढिया ।।१९८६।। पंचमहव्वयगुरुभारधारया साहुणो समियपावा । जे सावसेसकम्मत्तणेण न सिवं गया साहू ॥१९८७।। सुविसुद्धतवच्चरणा सायं ते बंधिऊण देवेसु । आसोहम्माओ वयंति पंच पंचोत्तरे जाव ॥१९८८।। ठिइ-लेस-जुइ-समिद्धासु पसिद्धा सुरवराण मज्झम्मि । ते होंति सुरवरिदा अहवा सामाणिया देवा ॥१९८९।। मायासहिएण तवेण अच्छरा होंति देवलोएसु । देवेहि समंताओ भुजंति मणोरमे भोगे ॥१९९०।। भवणवइ-वाणमंतर-जोइस-सोहम्मजावईसाणा । एएसु अच्छराओ देवा भुंजंति काएणं ॥१९९१।। सेसेसु फरिस-रूवसद्दम्मि' मणम्मि हुंति पवियारा । जा बारसमो कप्पो परओ उवसंतमोहाओ ।।१९९२।। निच्चुज्जोएसु सया जंतूण य रयणभत्तिचित्तेसु । डझंता गरु-कप्पूरबहलधूवं अंधयारेसु ।।१९९३।। गिज्जतमहुरमणहरसंगीयसणाहनट्टरम्मेसु । वरपंच-वण्णसुरतरुमहल्लहल्लंतदामेसु
॥१९९४॥ सयणेसु रायहंस-रूयतूलिमउएसु पुनलब्भेसु । सालिंगणबिब्बोयणसुरइयपहच्छयाणेसु ॥१९९५।।
अच्छरसाहिं मणोहरपीवर-थणतणुयबाहुलइयाहिं । तिवलीतरंगभंगुरकरमियसुहमज्झभायाहिं ।।१९९६॥ १ ये चार गाथाएं जे० प्रति में नहीं है। २ वि दुवंत जे० । ३ ईसीसिसेहेण जे० । ४ हिद्धिया जे० ५ अप्पद्धिय जे० । ६ साणो पा० । ७ रूवेसद्द जे० ।
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