Book Title: Jawahar Kirnawali 19 Bikaner ke Vyakhyan
Author(s): Jawaharlal Maharaj
Publisher: Jawahar Vidyapith

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Page 14
________________ बीकानेर के व्याख्यान] है ? वह तो यही कहेगा कि ऐसी बलि की प्राज्ञा देने वाला ईश्वर नहीं हो सकता, कोई हिंसालोलुप अनार्य हो सकता है और ऐसा शास्त्र भी किसी अनार्य का ही कहा हुआ है। किसी ज़माने में नरमेध भी किया जाता था और पशुमेध तो साधारण बात हो गई थी । नरमेध में मनुष्य की और पशुमेध में पशुओं की बलि दी जाती थी ! नरमेध की बात जाने दीजिए । वह तो घृणित है ही, पर पशुमेध भी कम घृणित नहीं है। निर्दयता के साथ पशुओं को आग में झोंक ऐना शांति प्राप्त करने का कैसा ढोंग है, यह वात एक आख्यान द्वारा समझना ठीक होगा। ___ एक राजा पशु का यज्ञ करने लगा। राजा का मन्त्री न्यायशील. दयालु और पक्षपातरहित था । उसने विचार कियाशांति के नाम पर बध करना कौन-सी शांति है ? क्या दूसरों को घोर अशांति पहुँचाना ही शांति प्राप्त करना है ? अपनी शांति की प्राशा से दूसरों के प्राण लेना जघन्यतम स्वार्थ है। क्या इसी निकृष्ट स्वार्थ में शांति विराजमान रहती है ? शांति देवी की सौम्य मूर्ति इस विकराल और अधम कृत्य में नहीं रह सकती । उसने यज्ञ कराने वाले पुरोहित से पूछा-आप इन मूक पशुओं को अशांति पहुँचाकर शांति किस प्रकार चाहते हैं ? पुरोहित ने कहा-इन बकरों का परमात्मा के नाम पर बलिदान किया जायगा । इस बलिदान के प्रताप से सबको Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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