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सं०
यक्ष
१. गोमुख - (क) श्वे०
(ख) दि०
२. महायक्ष - (क) श्वे०
(ख) दि०
३. त्रिमुख (क) श्वे०
(ख) दि०
४. (i) ईश्वर - श्वे०
(ii) यक्षेश्वर - दि०
५. तुम्बरु (क) श्वे०
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यक्ष - यक्षी मूर्तिविज्ञान-तालिका
वाहन
गज
या वृषभ
वृषभ
गज
गज
मयूर
(या सर्प)
मयूर
गज
गज
या हंस
गरुड
(क) २४ - यक्ष
भुजा - सं०
चार
चार
आठ
आठ
छह
छह
चार
चार
३३ जैन देवकुल के विकास में हिन्दू तंत्र का अवदान
चार
चार
आयुध
वरदमुद्रा, अक्षमाला,
मातुलिंग, पाश
अन्य लक्षण
गोमुख पार्श्व
में गज या
परशु, फल, अक्षमाला,
वरदमुद्रा
वरदमुद्रा, मुद्गर,
अक्षमाला, पाश (दक्षिण);
मातुलिंग, अभयमुद्रा, अंकुश,
शक्ति (वाम)
खड्ग (निस्त्रिश), दण्ड, चतुर्मुख
परशु. वरदमुद्रा (दक्षिण);
चक्र, त्रिशूल, पद्म, अंकुश
(वाम)
नकुल, गदा, अभयमुद्रा
(दक्षिण); फल, सर्प,
अक्षमाला (वाम)
दण्ड, त्रिशूल, कटार
(दक्षिण), चक्र, खड्ग,
अंकुश (वाम)
फल, अक्षमाला, नकुल,
अंकुश
संकपत्र या बाण, खड्ग, कार्मुक, खेटक । सर्प, पाश,
1
वज्र, अंकुश (अपराजित पृच्छा)
वरदमुद्रा, शक्ति, नाग
या गदा, पाश
सर्प, सर्प, वरदमुद्रा, फल
वृषभ का अंकन शीर्षभाग में धर्म
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चक्र
चतुर्मुख
त्रिमुख, त्रिनेत्र
(ख) दि०
गरुड
नागयज्ञोपवीत
प्रस्तुत तालिका डॉ मारुतिनन्दन तिवारी की कृति जैन प्रतिमा विज्ञान के परिशिष्ट २ से उद्धृत की गई है। एतदर्थ लेखक उनका आभारी है।
त्रिमुख, त्रिनेत्र
चतुरानन
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