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कहा जाय । नथा हर एक कुमार को वर नहीं वह सकते । इसी प्रकार अपने विवाह के समय प्रत्येक मी 'eat' कही जाती है, चाहे वह उसका पहिला विवाह हो चाहे दुसरा ऐसा नहीं हो सकता कि पहिले विवाह के समय वह क्या कही जाय और दूसरे विवाह के समय न कही जाय । मतलब यह कि विवाह कराने वानी प्रत्येक स्त्री क्या है और विवाह न कराने वाली कुमारी भी कन्या नहीं है । ग्रन्य प्रकरण में स् के भले ही दूसरे अर्थ हो, परन्तु विवाह के प्रकरण में अर्धान वरण केक में का विवाह कराने वाली स्त्री' श्रर्थ ही हो सकता है । इसी अर्थ को ध्यान में रख कर कवि ने सहमति के मुंह से सुनाग का क्या कहलाया है। इसी प्रयोग से कवि ने बना दिया है कि कवि की वाच्य वाचक सम्बन्ध का कैसा सून परिचय है ।
efore ने अपने इस सूक्ष्म ज्ञान का परिचय अन्यत्र मी दिया है कि जिस से सिद्ध होता है कि विवर, क्या शद का अर्थ 'विवाह करने वाली स्त्री' या 'ग्रहण को जाने वाली त्री' करते है | यहाँ पर for ने का प्रयोग किसी साधारण पात्र के मुंह से नाके एक व विज्ञानी मुनि के मुँह से कराया है।
राजा कुण्डलमगिडत ने पिंगल ब्राह्मण की स्त्री का हरा कर लिया था | जन्मान्तर की कथा सुनाते समय श्रवविज्ञानी मुनिराज इस घटना का उल्लेख इन शब्दों में करते है
हरसिंगलात् कन्यां तथा कुडल मडितः । पदत्रायं पुरा वृत्तः सम्बन्ध परिकीर्तितः ॥ ३०-१३३ ॥ मधन्- कुडलमण्डित ने पिल ब्राह्मण की स्त्री