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( २२१ ) श्रा-आजकल भी प्रथम विवाह के समय ही विशेष समारोह किया जाता है। द्वितीय विवाह समय विशेष समा. गह नहीं किया जाना । इमी तरह पहिले जमाने में भी स्त्री पुरुषों के प्रथम विवाह के समय विशेष समारोह हाता था; हिनीयादि विवाहों के समय नहीं । रामचन्द्र श्रादि के प्रथम विवाह का जैसा उल्लेख मिलता है वैसा हिनीयादि विवाहाँका नहीं मिलता। इमी तरह स्त्रियोंक भी प्रथम विधाहका उल्लेख मिलता है द्वितीय विवाहों का नहीं।
-पुरुषों के द्वितीयादि विवाहोका जा साधारण उल्लेख मिलता है वह उन के बहुपत्नीत्व का महत्व बतलाने के लिए है। पुराने जमाने में जो मनुष्य जितना बडा वेमयशाली होना था वह उननी ही अधिक स्त्रियाँ रखना था। इसीलिए चक्रवर्ती के १६ हजार,अर्द्धचक्रोफे १६०००, बलभद्रके :००था साधाग्ण गजाओक सैकडी स्त्रियाँ होती थीं । स्त्रियाँ अपना पुनर्वि. वाह तो करती थी, परन्तु उनका एक समय में एक ही पति होना था, इमलिये उनके बहुपमित्व का महत्व नहीं पतलाया जासकता था। तब उनके दूसरे विवाहका उल्लेख क्यों होता?
ई-आजकल लोग अपनी लडकियो का विवाह जहाँ तक घनता है कुमार के साथ करते है, विधुरके माध नहीं । वासकर श्रीमान् लोग तो अपनी लरकी का विवाह विधुरोके साथ कदापि नहीं करते। परन्तु इस परसे यह नहीं कहा जासकता कि आज विधुरविवाह नहीं होता, या विवाह करने वाले विधुर जातिच्यत समझ जाते है। इसी प्रकार पुगने समय में लांग यथाशक्ति कुमारियों के साथ शादी करते थे और श्रीमान् लोग नो विधवाओं के साथ शादी करना ही नहीं चाहते थे। परन्तु इससे विधुर विवाह के समान विधवाविवाह का भी निषेध नहीं हो सकता । दूसरी बात यह है कि स्त्रियों को विवाह के