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( २२६ ) विजातीय सम्बन्धों से कैसी विचित्र जातियों का निर्माण किया है और उनकी कैसी वशपरम्परा चल रही है, इस बात का पता आपको थोड़े अध्ययन से ही ला जाना । किसी मूर्ख माली की अधूरी बात क श्राबार पर सिद्धान्त गढ़ लेना आप ही सरीखे कृपमंडूक का काम हो सकता है । खैर, मान लीजिये कि विजातीय सम्पर्क की वश परम्परा नहीं चलती, परन्तु मनुष्य में नो विजातीय विवाह की वशपरम्पग चलती है। जहाँगीर हिन्दू माँ और मुसलमान बाप से पैदा हुआ था। इसके बाद के भी अनेक बादशाह इमी नरह पैदा हुए जिनकी परम्परा आज तक है। कई शताब्दियों तक तो वह वश गज्य ही करता रहा। बाद में (५७ के खातन्त्र्य-युद्ध के बाद भी उसी वंश के बहुत से मनुष्य गरीबी की हालन में गुजार करते थे और उनमें बहुत से आज भी बने हुए है। यदि यह सिद्धान्त मान लिया जाय कि विजोनीयविवाह की सन्तान परम्पग अधिक नहीं चलती तो इससे विजातीय विवाह का निपेध नहीं होगा किन्तु मनुष्यों में होने वाला विजानीय-विवाह, विजातीय नहीं है अर्थात् मनुष्यमात्र एक जाति के है यही बात सिद्ध होगी, क्योंकि मनुष्यों में विजा. तीय सम्बन्ध से भी वश परम्परा चलती रहती है।
आक्षेप (ङ)-क्या श्रेणिक के समय में रामायण आदि ग्रन्थ बन गये थे?
समाधान-ये ग्रन्थ बहुत प्राचीन है यह वात ऐतिहासिक प्रमाणों से सिद्ध है। साथ ही अपने पद्मपुराण में भी यह लिखा है।
देखिये पद्मपुराण द्वितीय पर्व. श्रूयंते लौकिके ग्रन्थे राक्षसा रावणादयः ॥ २३०॥