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स्त्री पर और प्रत्येक स्त्री का प्रत्येक पुरुष पर समान अधिकार रहता है, इससे वहाँ सब पुरुष अपने को माई २ समझते हैं। चीन में भी फूवी के राजत्वकाल नक ऐसा ही नियम था। इसी तरह आयर्लेण्ड की केल्टिक जाति के बारे में भी है। फेलिक्स अरेविया में और कोरम्बा जाति में भी ऐसा ही नियम था | ऑस्ट्रेलिया में विवाह के पहिले ममागम करना बुरा नहीं समझा जाता था।वैविलोन में प्रत्येक स्त्रीको विवाह के वाद व्हीनस के मन्दिर में बैठकर किसी अपरिचित आदमी के साथ सहवास करना पडता था । जव नक वह ऐसा न करे, तव नक वह घर नहीं जा सकती थी । अर्मीनियन जाति में कुमारी स्त्रियाँ विवाह के पहिले वेश्यावृत्ति तक करती हैं पर. न्तु इसमें लोकलज्जा नहीं समझी जाती । प्राचीन गेम में विवाह के पहिले यदि कोई लडकी व्यभिचारवृत्ति से पैसा पैदा नहीं कर पाती थी तो उसे बहुत लज्जित होना पड़ता था। चिपचा जाति में अगर किसी पुरुष को यह मालूम हो कि उसकी स्त्री का अभी तक किसी पुरुष से समागम नहीं हुआ तो वह अपने को प्रभागा समझता था और अपनी स्त्री को इसलिये तुच्छ समझता था कि वह एक भी पुरुष का चित्ताकर्पण न कर सकी। वोटियाक लोगों में अगर किसी कुमारी के पीछे नवयुवको का दल न चले तो उसके लिये यह बड़े अपमान की बात समझी जाती है। वहाँ पर कुमारावस्था में ही माता बनजाना बडे सौभाग्य और सन्मान की बात मानी जाती है। इस विषय में इसी प्रकार के अद्भुत नियम चियेवे, केमैग्मट, ककी, किचनक, रेड इन्डियन, चुकची, एस्किमो, डकोटा, मौंगोलकारेन, डोडा; रेड कारेन, टेहिटियन, आदि जातियों में तथा इसके अतिरिक्त कमेस्क डैल,