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( ४ ) दय से तो विधुर भी बनता है और सभी विपत्तियाँ आती है। उनका इलाज किया जाता है। विधुर का दुसरा विवाह किया जाता है । इसी तरह विधवा का भी करना चाहिये । इसका उत्तर हम पहिले भी विस्तार से दे चुके है । "पुरुषत्वहीन पुरुपों की सिकार होगी" इस श्राक्षप के समाधान के लिये देखो "३ घ"।
आक्षेप (घ)-विधवाविवाह के विरोधियों को पापियों की कक्षा में किस श्रागम युक्तितर्क के आधार पर श्रापने घसीट लिया ? (विद्यानन्द)
समाधान-इसका उत्तर ऊपर के ( ख ) नम्बर में है। उससे सिद्ध है कि कारित और अनुमोदन के सम्बन्ध सं विधवाविवाह के विरोधी भ्रूणहत्यारे है।
आक्षेप (ड)-पण्डित लोग पागम का अवर्णवाद नहीं करना चाहते । वे तो कहते है कि परलोक की भी सुध लिया करो।
समाधान-जिन पण्डितों के विषय में यह बात कही जारही है, वे वेचारे अज्ञानतमसावृन जीव श्रागम को समझने ही नहीं। वे तो रूढियों को ही धर्म या श्रागम समझते हैं और रूढ़ियों के भडाफोड को आगम का अवर्णवाद । परलोक की सुध दिलाने की बात तो विचित्र है। जो लोग खुद तो चार २ पॉच पॉच औरने हजम कर जाते है और बालविधवाओं से कहते है कि परलोक की सुध लिया करो! उन धृष्ठोस क्या कहा जाय ? जो खुद तो हँस हँस कर खाते हो और दूसरों से कहते हो कि "भगवान् का नाम लो? इस शरीर के पोपने में क्या रक्खा है ? यह तो पुद्गल है"-उनकी धरता प्रदर्शनी की वस्तु है । वे इस धृष्टता से उपदेश नहीं देते, आदेश करते हैं, जबर्दस्ती दूसरों को भूखों रखते है । क्या यह परलोक की