Book Title: Jain Dharm aur Vidhva Vivaha 02
Author(s): Savyasachi
Publisher: Jain Bal Vidhva Sahayak Sabha Delhi

View full book text
Previous | Next

Page 203
________________ ( १९३) किसी के अधिकार नहीं छिनने । विधवाविवाह तो व्यभिचार नहीं है । उससे क्रिमी के अधिकार कैस छिन सकते हैं ?' पच्चीसवाँ प्रश्न । जिन जानियों में विधवाविवाह होता है उन में कोई मुनि बन सकता है या नहीं? इसके उत्तर में दक्षिण की जातियाँ प्रसिद्ध है। शांतिसागर की जाति में विधवाविवाह का श्रामतौर पर रिवाज है। माक्षेप (क)-जिन घरानों में विधवाविवाह होताद उन घगनेके पुरुष दीक्षा नहीं लेते ! पटेल घराना विधवाविवाह बिलकुल नहीं होता। कोई खंडेलवाल अगर विधवा विवाह करले तो समग खंडेलवाल जाति दपिन नहीं हो सकती। समाधान-~-शांतिसागरका झुठापन अच्छी तरह सिह किया जाचुका है। सामना हो जाने पर जैमा व मुंह छिपाते है उमगे उनकी कलाई बिलकुल खुल जाती है । पटेल धगनेके विषय में लिखा जा चुका है । बुट शान्तिसागर के मनीजे ने विधवाविवाह किया है । यह बात जैनजगत् में सप्रमाण निकन चुकी हैं। यह ठीक है कि एक जण्डेलवाल के कार्यसे वह जातीय रिवाज नहीं बन जाता है। परन्तु अगर मैकडों वर्षोंसे हजाग जण्डेलवाल विधवा-विवाह करते हो, वे जाति में भी शामिल रहते हो, उनका गेटी बेटी व्यवहार सब जगह होता हा, नव वह रिवाज ही माना जायगा । शान्तिसागर जी की जाति में विधवाविवाह पेसा ही प्रचलित है। श्राक्षेप ( ख ) यदि अनधिकारी होकर भी कोई दस्सामनि वनजाय ती मनिमार्ग का वह विकृत रूप उपादेय कदापि नहीं हो सकता। (विद्यानन्द)

Loading...

Page Navigation
1 ... 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247