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नहीं समझते । ब्रह्मचर्य का अर्थ मजबूरी से मैथुन का श्रभाव नहीं है किन्तु श्रात्मा की थोर ऋजु होने को ब्रह्मचर्य कहते हैं । कोई कन्या मनमें किसी सुन्दर व्यक्ति का चितवन कर रही है। क्या आप उसे ब्रह्मचारिणी समझते हैं ?
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( विद्यानन्द समाधान - कितनी अच्छी बात है ! मालूम होता है छिपी हुई सुधारकता असावधानी से छलक पडी है । यही बात तो सुधारक कहते हैं कि विधवाओं के मैथुनाभाव को वे ब्रह्मचर्य नहीं मानते क्योंकि यह विधवाओं को मजबूरी से करना पडता है और यह मजबूरी निरुपाय है । कुमारियों के लिये यह बात नहीं है । उन्हें मजबूरी से ब्रह्मचर्य पालन नहीं करना पड़ता। फिर उनके लिये विवाह का मार्ग खुला हुआ हैं । विवाह सामग्री रहने पर भी अगर कोई कुमारी विवाह नहीं करती तो उसका कारण ब्रह्मचर्य ही कहा जासकता है। विधवाओं को अगर विवाह का पूर्ण अधिकार हो और फिर भी अगर वे विवाह न करें तो उनका वैधव्य ब्रह्मचर्य
कहलायगा |
आक्षेप (च) सबको एक घाट पानी पिलाना -- एक उडे से हॉकना नीतिविरुद्ध है ।
समाधान-एक घाट से पानी पिलाया जाता है और एक डण्डे से बहुत से पशु हांके जाते है। जब एक घाट श्रीर एक डराड़े से काम चलता है तब उसका विरोध करना फिजूल है। कुमार कुमारी और विधुरों को जिन परिस्थितियों के कारण विवाह करना पडता है वे परिस्थितियों यदि विधवा के लिये भी मौजूद है तो वे भी विवाहघाट से पानी पी सकती हैं।