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नहीं | क्या सदाचार या चारित्र की यही प्रशसा है ? क्या इसी का नाम नि पक्षना है ? स्त्री हा या शूद्र हो प्रत्येक जीव को ऊचा से ऊँचा धर्म पालने का अधिकार है। जो उनके अधिकारों को छीनते हैं वे सिर्फ पक्षपानी ही नहीं डाकू है । मनुष्य जाति के दुश्मन है । वे चाहे पूर्व पुरुषों के वेप में हां, चाहे श्राचार्य के प म हाँ, चाहे और किमी रंग में रंगे हो, उनका नाम सिर्फ़ उनके नाम पर थूकने के लिये ही लेना चाहिये ।
पाठक देखें कि पक्षपात का दोष लगाना सत्य है या नहीं ! हमें यह वकालत इसलिये करनी पडी है कि श्राज वुद्धि और विवेक से काम लेने वालों का भ्रम पशु कहा जाता है । कौन श्रम पशु है, इसका निर्णय पाठक ही करेंगे ।
नवमा प्रश्न ।
"विवाह के बिना, कामलालसा के कारण जो सक्लेश परिणाम होते है, उन में विवाह होने से कुछ न्यूनता श्राती हे या नहीं ?" इस प्रश्न के उत्तर में हमने कहा था कि संक्लेश परिणामों को कम करने के लिये विवाह किया जाता है और इस में बड़ी भारी सफलता मिलती है। हमने सागारधर्म्मा. मृत और पुरुषार्थसिद्धयुपाय के श्लोकोंसे अपने पक्ष का सम र्धन किया था । श्रक्षेपक कई जगह तो हमारे भाव को समझ नहीं पाये और बाकी जगह उन से उत्तर नहीं बन पड़ा ।
आक्षेप (क) — जब वृह्मचर्याश्रम पूर्ण कर युवा १६ वर्ष का होता है तब पितादि उस का विवाह करते है । ऐसी अवस्था में न किसी के विवाहक बिना संक्लेश परिणाम होते है न कुछ होता है । (श्रीलाल )
समाधान - कामलालसा रूप सक्लेशके बिना किसी का