Book Title: Jain Bal Bodhak 03
Author(s): Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
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जैनवालयोधक-... और सब खर्च घगकर कमसे कम एक एक गाव -अपने घरमें ही पाल कर उसके दूध दही मठेसे - स्वास्थ्यकर स्वादिष्ट भोजन बनाकर खाना चाहिये। . .
दूधसे अनेक तरहकी खानेकी चीजें बनती है । दधको उबालकर मलाई रवड़ी खोथा बनाते हैं। चावल डालकर खीर बनाते हैं । खोएसे बरफी पेडा कलाकंद वगेरह अनेक प्रकारकी मिठाइये वनायी जाती हैं। श्रोताये दूधमें पीने लायक ठंडा हो जाने पर दही छाछ वगेरहकी खटाई [जामन ] डालकर दही और दहीमें पानी मिलाकर रईसे विलोकर मक्खन निकालकर पी बनाते हैं। मक्खन निकालने पर दहीका मठा बन जाता है । मक्खन निकाला हुआ मठा या छाछ सवेरेके भोजनके पश्चात् नित्य पीनेसे बडा ही पाचक वा गुणकारी होता है। दूध दिनके अंतमें पीना विशेष लाभदायक है।
७. जिनेंद्र गर्भमंगल. पणविवि पंचपरम गुरु, गुरु जिनसासनो । सकल सिद्धिदातार सुविधन विनाशनो ॥ सारद अरु गुरु गौतम, सुमति प्रकासनो।
मंगलकर चउसंघहि, पाप पणासनो ॥ १ नमस्कार करता हूं २ महान् ३ मुनि, अजिंका, श्रावक, श्राविकाका समूह।