Book Title: Jain Bal Bodhak 03
Author(s): Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
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तृतीय माग। हो या और राजाके चढनेका बहुमूल्य घोडा चुराकर ले नया। ___- कोतवालको खबर करने पर कोतवालने उसी वक्त कई घुडसवार चारों तरफ दोडाये । कई घुडसवारोंने उसी बड़तले उस चौरको सोया देख जगाकर इसमकार पूछा
राजपुरुष-अरे उठ, तू कौन है ? चौर- ( इडवडाकर उठा और वोला) में चौर । राजपुरुष-तूने क्या चौरी की ? चौर-आज तो एक घोडाचुराया है। राजपुरुष-किसका घोडा चुराया ? चौर-यहांके गजाका। राजपुरुष-घोडाका रंग कैसा है ? चौर-लाल है। राजपुरुष-वह बोड़ा अब कहां है ?
चौर- यहां दक्दनकी तरफ एक कोश पर आमका पुराना पेड है उसीसे बंधा है।
यह सुनकर कई घुड सवार दौडे और घोडा खोलकर ले पाये परन्तु उसे देखकर सबही जने आश्चर्य में हो गये क्योंकि उस घोडेका रंग उस समय नीला या। . .
राजपुरुषोंने चौरसे कहा कि- क्यों वे ! तू तो लाक रंगका घोडा बताता था यह नौ नीले रंगका घोडा है ? चौर ने कहा कि महाराज मैंने भान ही मुनि महाराज पाम झूठ