Book Title: Jain Bal Bodhak 03
Author(s): Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
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तृतीय भाग ।
93.
नदी वैडि मोजा कायाबलतेज छीजा, या पन तीजा अब कहा बनिया है । तातें निज सीस ढोलें नीचे नैन किये डोलै, कहा वढि बोलें वृद्ध वंदन दुवै है ॥ ८ ॥ मत्तगयंद सवैया |
देखहु जोर जरा भटको, जमराजमहीपतिको अगवानी । उज्जलकेम निसान धेरै, बहुरोगनकी संग फौज पलानी || काय पुरी तजि भाजि चल्यो जिहि, आवत जोवनभूर गुमानी । लुट लई नगरी सगरी दिन दोयमें, खोय है नाम निसानी ॥९॥ दोहा | सुमतिदि तजि जीवनसमय, संवड़ विषय विकार । खलेंसांटे नहि खोईये, जन्मजवाहिर सार ॥ १० ॥
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२१. राजा शुभकी कथा ।
मैथिल देशमें मिथिला नामका नगर है उसके राजाका नाम शुभ था। उसकी रानीका नाम मनोरमा और उसके पुत्र का नाम देवरति या । देवरति गुणवान और बुद्धिमान था कोई प्रकारका दोष या विसन उसे छू तक नहिं गया था । .
१५ दूवकर । १६ तीसरापन बुढापा । १७ सिर हिलाता है । १८ मुह छिपाता है । १९ सारी । २० खलके बदले में ।