Book Title: Jain Bal Bodhak 03
Author(s): Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
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जैनगलवोधकमध्यप्रदेशकी पाठशालाओंके विद्यार्थी बहुत कालतक पटकमें रक्खे जाते हैं । तथा कहीं २ तौ दोनों वक्त पाठशालामें पढ्नेको जाना पड़ता है और कहीं २ फिर रात्रिको अध्यापक लोग विद्यार्थियोंके घरपर जाकर या अपने घर बुलाकर भी पढ़ाया करते हैं। उन विद्यार्थियोंको व्यायाम करने के लिये हवा खानेके लिए कुछ भी समय नहिं मिलता । इसी कारण वे लडके व्यायामके अभावसे शारीरिक वा मानसिक कमजोरी अधिक हो जानेसे परीक्षाके समय प्रायः फेल हो जाते हैं। यदि कोई २ विद्यार्थी मानसिक अधिक परिश्रम करके पास भी हो गया नौ पास हुए बाद उससे शारीरिक परिश्रमाले कार्य होना अतिशय कठिन मालूप होते हैं । सो ऐसा कदापि नहिं होना चाहिये क्योंकि मस्तिष्क ( मगज) मनका एक यंत्र है. व्यायाम करनेसे मस्तिष्क-रक्तका संचार होनेसे मस्तकमें बलाधान होता है। किंचिन्मात्र भी व्यायाम नहिं करनेवाले अनेक विद्यार्थी परीक्षा समय आनेपर रोगी होते देखने में आते हैं, और अनेक लडके व्यायाम नहिं करनेसे हमेशहके लिए दुर्बल व रोगी हो जाते हैं । इस कारण सम लडकोंको यथा समय सूर्यास्तके समय एकबार खेल लेना उचित है । वालिकाओंके लिये मूलेमें झूलना वा घरके सब काम करना ही बहुत है । दिन भर बैठे.२ लिखने पढनेवालोंको . भी विद्यार्थियों की तरह व्यायाम करना उचित है परंतु