Book Title: Jain Bal Bodhak 03
Author(s): Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
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तृतीय भाग! दुषित पदार्थ निकल जाते हैं। यही कारण है कि पसीना आनेसे शरीर अधिक स्वस्य वा तंदुरुस्त हो जाता है । . शारीरिक परिश्रम करनेवालोंकी भूख भी बढ़ जाती है। भूख में अधिक भोजन कर लिया जाय तो वह भले प्रकार हजम हो जाता है। अतएव जो निरंतर शारीरिक परिश्रम करते हैं उनको छोडकर विद्यार्थी व दिनभर गद्दी तकियों पर बैठे रहनेवाले घनाढयोंको किसी भी प्रकारका शारीरिक परिश्रम करनेका मौका न मिले तो उनको नित्य नियमित व्यागम ( कसरत ) करते रहना चाहिए। क्योंकि यथोपयुक्त व्यायाम करनेसे समस्त शरीरमें बल हो जाता है । व्यायाम नहि करनेसे मनुष्य पालसी हो जाता है। वे खुद भी अनेक प्रकारके कष्ट पाते हैं और अपने ग्राश्रित जनोंका भी कुछ उपकार नहिं कर सकते।
छोटे बडे लडके प्रायः सभी देशोंमें खेलते रहते हैं । खेलनेवाले लडकों का शरीर बहुधा स्वस्थ रहता है क्योंकि दौडादौडी करनेसे अथवा अन्य प्रकारके खेलोंमें वल प्रकार करनेसे हाथ पांव वगेरह सब अंग वलिष्ट हो जाते हैं । परिक उच्च स्वरसे बोलने वा इंसनेसे भी वालकोंकी निरोगता बढ़ती है। . कोई २ वालक इतना खेलते हैं कि खेलनेके लिये पढ़ने लिखने में भी मन नहि लगाते और कोई २ वालक बहुत ही कम खेलते हैं तथा हमारे पश्चिमोत्तर प्रदेश वा