Book Title: Jain Bal Bodhak 03
Author(s): Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
View full book text
________________
२११
- तृतीय भागः।. अफीम बीड़ी चुटं चाय वगेरह भी बहुत हानिकारक हैं । जब ठीक समय पर इनमेंसे कोई. नशा नहीं मिलता है तो बडी हानि करता है और उसके विना. कोई भी काम नहि कर सकते। इस कारण इन सव नसोंमेंसे तुम किसी प्रकार का भी नसा करना नहिं सीखना पलिक .जो लोग मद्य चरस भांग गांजा चंडू वगैरह पीते हैं उनकी संगतिमें भी नहिं बैठना अगरं बैठोगे तो तुम भी सीख जाओगे।
लावनी। हे हे भारतसंतान न मद विष खाओ। ... है हाथ जोडकर अरज ध्यानमें लाओ॥टेक॥ कतं मनुष्य खाय कर नसे नसहि दिनराती।
कत.कुल.कलपत हैं कूट कूट कर छाती ॥ कत शन कुलवाला बिन प्रीतम दुख पाती।
विधवा बन वन. नयननसे नीर वहाती ॥ इस विपतासे अब सबके प्रान बचाओ।
है हाथ जोडकर अरज ध्यानमें लाओ। हे हे भारत संतान न मद विष खाओ । हे० हा० ॥१॥
कत बालक विन पितु हाय महा दुख पावें । कत जननिपुत्र विन हाहाकर अकुलावें ॥
जब लाख लाख रुपयनके नसे विकावें। .१ कितनेही ।
-
-