Book Title: Jain Bal Bodhak 03
Author(s): Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publisher: Bharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
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जैनालबोधक४०. विष्णुकुमार मुनिकी कथा ।
(राखी पूर्णिमा ) अवंती देश उज्जयनी नगरीमें राजा श्रीवर्मा या । उस की रानी श्रीमती थी। उसके बलि, वृहस्पति, पढाद, और नमुचि ये ४ मंत्री थे। ये सब भिन्नधर्मी थे। उस नगरीके बाहर उद्यानमें एक समय समस्त शास्त्रोंके जाननेवाले, दिव्यज्ञानी अकम्पनाचार्य सातसौ मुनिसहित पधारे । संघाधिपति. प्राचार्य महाराजने संघके समस्त मुनिगणोंसे कह दिया कि, यहां राजा वगेरह कोई लोग आवे, तो किसीसे भी बोलना नहीं, सब मौन धारण करके रहना । नहीं तो संघको. उपद्रव होगा। ___उस दिन राजाने अपने महलपरसे नगरके स्त्रीपुरुषोंको पुष्पालतादि लिये जाते हुऐ देखकर मंत्रियोंसे पूछा कि, ये लोग बिना समय किस यात्राके लिये जाते हैं ? मंत्रियोंने कहा कि नगरके बाहर नम दिगम्बर मुनि आये हुए हैं, उनकी पूजाके लिये जाते हैं। राजाने कहा किचलो न, अपन भी चलकर देखें कि वे कैसे मुनि हैं। तब राजा भी उन मंत्रियों सहित वनमें गया ।वहांसवको भक्ति पूजा करते हुए देखकर राजाने भी नमस्कार किया परंतु गुरुकी आज्ञानुसार किसी भी मुनिने राजाको आशीर्वाद नहिं दिया।